बादल घनेरे
शीतल फुहारें
झमाझम बारिशों की बूँदें
मेरे दिल पर गीत लिख रहे
कि एक तुम ही
मेरे जीवन की मीत हो
मीत हो, मीत हो ||
नभ के तारे
टिमटिमा रहे
यह शाम कितनी है जवां
फिजा इतनी है खुशनुमां
ओ चाँदनी तुम ही
मेरे जीवन की प्रीत हो
मीत हो, मीत हो ||
बैठो सामने
कह दो आंखों से
और केशुओं में छिपने दो
कानों में लब गुनगुनाने दो
बस तुम ही
मेरे जीवन की रीत हो
मीत हो, मीत हो ||
आँखें हैं नीली
है दिल नदीश
लबों की दरिया हो
लहरों को चलने दो
मेरे नाव की
तुम्हीं एक पतवार हो
मीत हो, मीत हो ||
श्रद्धा से-
अविनाश कुमार राव
