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दीपक ने ही दिखाया

प्रतीकात्मक दीपक

एक रात जब अँधेरे में ढिबरी जलायाखिड़की से चाँद को झाँकते पाया, बादलों से निकलते, छिपतेशायद मुझे चिढ़ा रहा थामुझे नहीं मालुम या बुला रहा था, पर मैं खुश था अपनी ढिबरी की रोशनी से,यह वही दीपक हैजो ज्ञान की बाती जलाईगूढ़ विषयों को बताई,जब भी आया तम का छायाहमेशा अपने साथ यह दीपक ही …