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तेरी रचना

लेखक: अविनाश कुमार राव जिस दिन चाँद इठला रहा होगा,ईश्वर ने हूर कागुरूर तोड़ने कोतुझे रच रहा होगा। जिस महल में तेरा वास होगा,शायद अंधकारहिमालय की गुफाओं मेंछिप रहा होगा। जब रात चाँद निकलता होगा,तुझे देखकरशायद शर्म के मारेबादलों में छिप रहा होगा। जब तुम्हारा बाग़ जाना होगा,तुम्हारी मुस्कान देखशायद गुलाब भीमुरझा रहा होगा। जब …