जब अँधेरे में इठलाते हुए खिड़की से चाँद कोझाँकते पाया। पर, मैं खुश थाअपनी मोमबत्ती की रोशनी से,यह वही दीपक हैजिज्ञासा की ज्योति जलायागूढ़ विषयों को बताया। जब भी आयातम का छाया,हमेशा अपने साथदीपक को ही पाया। जिसका सपनाचाँद पर जाने का है,उनको इसी दीपक नेजाने का रास्ता बताया। श्रद्धा से-