Tag Archives: बूँद कि कविता हिंदी में

मैं निर्मल एक बूँद हूँ I

जग की आत्मा प्रकृति रचयिता सर्वत्र व्याप्त मैं निर्मल एक बूँद हूँ II पपीहे की प्यास बुझाती, बाँस को बंसलोचन बनाती फसलों में फली लाती सीप में मोती बनाती हूँ मैं निर्मल एक बूँद हूँ II सागर से उठकर नभ में उड़ जाती वाष्प बन कर बादल बनाती एक होकर फिर वही सागर बन जाती …