Tag Archives: अविनाश कुमार राव की कवितायेँ

गुरु रूप ले लेता है शिक्षक |

shikashak

पैरों में दृढ़ता, इच्छा शक्ति सशक्त, नित नूतन ज्ञान स्रोत परिभाषित है शिक्षक | कभी नारियल फल, ह्रदय सागर सदृश सरसता, उपमा आदर्श चरित्र का बन जाता है शिक्षक | हाथों में ले दुधिया भट्ठी, अक्षर दीप जलाता, कोरे मानस पटल पर अङ्कन करता है शिक्षक | न केवल का पुस्तक, जीवन का पाठ सिखाता, …

जूते – एक अनुभव की कविता

पहने जाते हैं बड़े उत्साह से नये जूते,किसी के लिए निचले स्तर की रौंदने की चीज हैं जूते, हमारे पैरों को बचाते हैंकील, कीट, कीड़े, कीचड़ से फिर भी तुच्छ समझे जाते हैं जूते,हिमालय पर चढ़ने वालों से पूछिए कितने गम दबाए हैं जूते, हर पग पथ पर, साक्षी अनुभवों का ठोकरें खाकर आगे बढ़ने …