फिर खडा चोर हाथ जोड़ तुम्हारे द्वार
आओ साथी, कमर बाँध लो हो जाओ तैयार II
जो वर्षों से चूसा तेरा रक्त
अब आ गया है वह वक्त,
हो जाओ कठोर और सख्त
इस बार कर दो पलट तख़्त,
न जीतने दो फिर इस बार
आओ साथी, कमर बाँध लो हो जाओ तैयार II
सालों सैर में किया केवल मद बर्बाद
किया तुम्हीं से अपराध पर अपराध
किया बहन बेटियों को नापाक
तुम्हारे हक़ अपने शौक में किया बर्बाद
फिर ताज न चढने देना इस बार,
आओ साथी, कमर बाँध लो हो जाओ तैयार II
फिर सत्ता हथियाने, हाथ जोड़ कर आएगा
पैर छुएगा, क्षमा, विनती और गिड़गिड़ाएगा,
लूटा हुआ तुम्हारे हक़ से, मदिरा तुम्हें पिलाएगा
नौटंकी समाज सेवा की रचकर तुम्हें दिखाएगा,
सोचो बीते दुर्दिन को, और इसे फेंक दो झटकार
आओ साथी, कमर बाँध लो हो जाओ तैयार II
फिर मीठे भाषण से, कागज़ में काम गिनाएगा
प्रतिदिन केवल अपनी ही सम्पत्ति बढ़ाएगा,
काम तुम्हीं से लेकर, मजदूरी हेतु रुलाएगा
आवश्यकता पड़ने पर, अपना पैसा सूद पर दिलवाएगा,
न कब्जा कर पाए, आबाद जमीन पर
आओ साथी, कमर बाँध लो हो जाओ तैयार II
ये सारे ठेके अपने ही लेगा
या दिलाकर तुम्हें, चोरी से दलाली खाएगा,
सारी योजना स्वयमेव लाभ उठाएगा
और तुम्हें झाँसा देकर, अपना काम कराएगा,
फिर न कर सके तुम्हारे सपनें तार-तार
आओ साथी, कमर बाँध लो हो जाओ तैयार II
आने पर चुनाव, बारंबार चेहरा दिखाएगा
अभिनय सक्रिय नेता होने का दर्शाएगा,
जीत चुनाव, सपरिवार फ़ुर्र हो जाएगा
झूठों ब्यस्त होने का नाटक वह दिखलाएगा,
मत करो उस पर अपना मत बर्बाद, अबकी बार
आओ साथी, कमर बाँध लो हो जाओ तैयार II
लुटेरे, खूनखोर, सूदखोर, घूसखोर नेता बनने को हैं तैयार
सज्जनता की खद्दर पहने मत माँगने आएँगे द्वार बार-बार,
दिन में जोड़े हाथ, रात में लिए हथियार
फिर आगे भी दुखित रोओगे यदि नहीं हुए होशियार,
ऐसे ही नेता दोगे भावी पीढी को ? करो विचार,
आओ साथी, कमर बाँध लो हो जाओ तैयार II
छुट्टीकर दो ऐसे समाज सेवी नेताओं का
अभिनेता, अपराधी, और अय्यासों का,
हक़ हमारे लूटने का न मिले उसे अधिकार
हर क्षण रहे जो सेवा हेतु तैयार आपके घर द्वार,
अब समय आ गया सबक सिखाने का, हो आँख खोल तैयार
आओ साथी, कमर बाँध लो हो जाओ तैयार II
श्रद्धा से-
अविनाश कुमार राव