जहाँ एक है सूरज-चाँद का खेलअनोखा अनुपम प्रभा का मेल,हमजोली के आभा का खेललोकालोक दोनों का लक्ष्य एक,पर यहाँ मानव का वैचारिक भेदरोती होगी माँ धरती, आँचल अपनी फटती देख |थे जन्म समय सब में एक रक्त रंगखाया सबने एक ही अन्नएक प्रकृति में पले बढ़े,एक ईश्वर के कर नाम भेद हो धर्म नाम पर बटे …
पहने जाते हैं बड़े उत्साह से नये जूते,किसी के लिए निचले स्तर की रौंदने की चीज हैं जूते, हमारे पैरों को बचाते हैंकील, कीट, कीड़े, कीचड़ से फिर भी तुच्छ समझे जाते हैं जूते,हिमालय पर चढ़ने वालों से पूछिए कितने गम दबाए हैं जूते, हर पग पथ पर, साक्षी अनुभवों का ठोकरें खाकर आगे बढ़ने …
बादल घनेरे शीतल फुहारेंझमाझम बारिशों की बूँदेंमेरे दिल पर गीत लिख रहे कि एक तुम ही मेरे जीवन की मीत हो मीत हो, मीत हो ||नभ के तारे टिमटिमा रहे यह शाम कितनी है जवां फिजा इतनी है खुशनुमांओ चाँदनी तुम ही मेरे जीवन की प्रीत होमीत हो, मीत हो || बैठो सामने कह दो …
जग की आत्मा प्रकृति रचयिता सर्वत्र व्याप्त मैं निर्मल एक बूँद हूँ II पपीहे की प्यास बुझाती, बाँस को बंसलोचन बनाती फसलों में फली लाती सीप में मोती बनाती हूँ मैं निर्मल एक बूँद हूँ II सागर से उठकर नभ में उड़ जाती वाष्प बन कर बादल बनाती एक होकर फिर वही सागर बन जाती …
न जा, अभी न जा, ठहर और ज़रा दिल कह रहा, तू और ठहर ज़रा I सुन, कुछ गुनगुना रही है हवा यह मौसम भी कुछ कह रहा, धड़कनें क्या कह रही हैं बता मेरा दिल अभी नहीं भरा II दिल कह रहा, तू और ठहर ज़रा Iकुछ नगमें अभी बाकी हैंतेरा ही गीत हूँ …
अब चलें अयोध्या धामजय श्री राम जय श्री राम,सबके मन में एक ही नामजय श्री राम, जय श्री राम || चलें …1रघुकुल के वे चार रत्नराम, भारत, लक्ष्मण, शत्रुघ्नप्रकट भए दशरथ संतानश्रेष्ठ राम आज्ञा के प्रतिमान |जय श्री राम, जय श्री राम || चलें…2निषादराज को सखा बनामाँ शबरी का जूठन खाउनसे मिले भक्त हनुमानकरुणानिधान मर्यादा …
बेवफ़ा तू क्यों है खफ़ा मेरे मर्ज़ की दवा तू ही बता ओ बेवफ़ा, ओ बेवफ़ा हर वक्त मेरी आँखें हैं नम हमनशीं ले के तेरा ग़म ढूँढता हूँ दिन में तारों को खोजता हूँ रात नींदों को क्यों ले लिया सुख चैन मेरा सिला क्या है मेरा तू ही बता ओ बेवफ़ा, ओ बेवफ़ा …