माँ की कमी

सीमेंट के टीने वाले कमरे में विद्यालय में सत्र के पहले दिन कक्षा दस में सभी छात्र मिले I नए छात्र तो पहले दिन से आ रहे थे पर, दसवीं के फेल छात्र दिन पर दिन एक-एक करके बढ़ रहे थे I उसमें भी जो एक या दो अंक से फेल थे वही शुरू किए थे आना I नए छात्रों में उत्साह था कि दसवीं में पहुँच गए और उनको इस वर्ष बोर्ड परीक्षा में सम्मिलित होना है परंतु डर था तत्कालीन वर्ष के परीक्षा परिणाम को देखकर I डर तो सबको लगता है चाहे वह कितना भी बड़ा मेधावी क्यों न हो जब तक वह अपनी परीक्षा सही से नहीं दे देता उसे डर लगा ही रहता है I अर्जुन भी कुरुक्षेत्र में गांडीव रख दिए थे जबकि उनसे बड़ा धनुर्धर उस रणभूमि में कोई न था I

कक्षा में एक लड़का दूसरे लड़के से बात करते हुए  

“तुम्हारा नाम क्या है ?“ अमित ने पूछा I

“विपिन”

अमित ने पुनः पूछा “किस विद्यालय से आए हो ?”

“किसी विद्यालय से नहीं, दो अंक से फेल हूँ इसी विद्यालय से I” विपिन ने बताया I

अमित की उत्सुकता बढ़ गई और आगे पूछा “किस विषय में ?”

“गणित में I” विपिन ने जैसे ही बताया, अमित थोड़ा सहम गया पर अंदर से एक हिम्मत आई, नहीं मैं फेल नहीं होऊँगा, चाहे कुछ भी हो जाए I अमित ने बात आगे बढ़ानी ही बंद कर दी I फिर घंटियाँ शुरू हो गईं I दोनों की दोस्ती की गाड़ी चल दी I

विपिन दूसरे दिन भी स्कूल आता है पहले की तरह I अमित जब स्कूल आया तो विपिन भी उसके पास आ गया I जब दो मन के भाव मिलें तो समझो मित्रता बढ़ेगी और वैसा ही हुआ I दोनों में एक दूसरे से कुछ कहने की बहुत इच्छा थी I

विपिन ने पूछा “तुम कहाँ से आते हो ?”

“स्कूल के पीछे वाले गाँव से I“ अमित ने बताया I

“घर में कौन-कौन हैं ?” विपिन प्रश्नों का क्रम आगे बढ़ता है I

अमित ने बताया मैं जहाँ से आता हूँ वह मेरे बड़े चाचा की ससुराल है जहाँ मेरे नाना जी एक अध्यापक हैं, जो यहीं पढ़ाते हैं I नानी, मामा मौसी भी हैं पर, मेरा अपना घर यहाँ से दूर है I मैं यहाँ रहकर पढ़ने आया हूँ I मेरे नाना जी अध्यापक हैं इस लिए मेरे पिता जी ने यहाँ मुझे रखा है ताकि मैं अच्छे से पढ़ सकूँ I”

“तुम तो शायद मिल(सूगर मिल) की तरफ से आते हो ?” अमित ने पूछा I

“हाँ, मेरे पापा मिल में एक मिस्त्री हैं I” विपिन ने ज़वाब दिया I

तभी अंग्रेजी के अध्यापक कक्षा में प्रवेश करते हैं और कक्षा शांत, जैसे कोई कक्षा में है ही नहीं I दिल्ली की शटल ट्रेन की तरह कक्षाएँ चलती रहीं और बातचीत का क्रम जारी रहा I

अमित को हर महीने सरकारी कोटे की दुकान से मिट्टी का तेल लाना होता था I जो कि पिछले दिन वह गलती से कोटे की दुकान पर राशन-कार्ड छोड़ दिया था I उसी गलती के कारण डाँट-फटकार सुना था I वही घटना बताया और आँखें नम हो गईं I जिसे देखकर विपिन भावुक हो गया I इस प्रकार दोनों के घर की बातों, उलझनों और शिकायतों की बातें होने लगीं I दिक्कतों में अमित रहता था क्योंकि अमित के घर के पास कोई स्कूल और घर में कोई अध्यापक नहीं था I उसके साथ मजबूरी थी और विपिन के पास शिकायत I

विपिन छोटी-छोटी बातों को भी बड़ी समस्या के रूप में बताता था सिवाय सुलझाने के I वह कभी अपने बड़े भाई की शिकायत करता था तो कभी माँ की I ऐसे ही बातचीत की गाड़ी सरकती रही और परीक्षा के दिन नजदीक आते गए I

पर जब भी विपिन अपने माँ की शिकायत करता था अमित उसे डाँटता और कहता था कि “माँ की शिकायत मेरे से मत करो I जिस दिन तुम्हारी माँ नहीं रहेंगी उस दिन तुम्हे पता चलेगा, माँ की कमी I”

इस तरह दोनों ने दसवीं की परीक्षाएँ दीं और पास भी हो गए I दोनों ने ग्यारहवीं -बारहवीं की कक्षा में भी वही पुरानी घिसी-पिटी शिकायतों और कष्ट के विचारों के आदान-प्रदान का क्रम जारी रहा और धीरे-धीरे दोनों के दोस्ती में आख़िरी समय आ गया जैसे दो राही का एक ही स्टेशन पर उतर कर अपने-अपने गंतव्य को जाना I बारहवीं भी उत्तीर्ण हो गए I

इधर अमित अपने गाँव आकर एक महाविद्यालय में प्रवेश लिया और वहीं एक कमरा किराए पर लेकर पढ़ाई करने लगा और विपिन ने  तकनीकी प्रशिक्षण महाविद्यालय में I दोनों की वार्ता बंद हो गई I

दोनों को पुनः नए दोस्त मिले पर अब शिकायत नहीं परंतु एक नए उमंग का साथ और नई दिशा की ओर I  

चार वर्ष बाद अमित के नाना जी के यहाँ एक उत्सव पड़ता है जिसमें वहाँ जाना पड़ा जहाँ से वह बारहवीं पास किया था I वहीं अमित को कुछ खरीदना था इस लिए उसे बाज़ार जाना पड़ा I अमित एक दुकानदार से मिठाई खरीद रहा था तभी एक लड़का आया और पीछे से अमित की आँखों को बंद कर दिया I

अमित यह जानना चाहता था कि बिना बोले उसका नाम बताए पर, अमित ने अपने अनेकों दोस्तों का नाम बोला उसमें उसका नाम नहीं था I इसी वजह से जब विपिन ने अमित की आँखों से हाथ हटाया तो सामने विपिन को देखा I बहुत ही खुशी से दोनों गले लगे I फिर कुशल क्षेम की बात आगे बढ़ी और दोनों वहीं चाय पीने बैठ गए I बात-बात में जब अमित ने विपिन से उसकी माँ का हाल पूछा तो जवाब में उसके पास आँखों में आँसू और चुप्पी के अलावा कुछ भी न था I

अमित विपिन की आँखों में आँसू देखकर कुछ सहमा,  पूछा-

“क्या हुआ, तुम्हारी माँ को ?” फिर अमित ने विपिन के कंधे पर हाथ रखा और हिम्मत बढ़ाया I अमित समझ गया कि शायद विपिन की माँ इस दुनिया में नहीं है I

“क्या आंटी का देहांत हो गया ?” अमित ने चकित स्वर में पूछा I विपिन का गला रुधा था जिसकी वजह से वह केवल हाँ के लिए सर हिला सका I

पानी पीकर अपने साहस को मजबूत किया I चाय पीना शुरू किया I इधर अमित को अपनी माँ याद आ गई I अमित स्तब्ध था कि ये क्या हुआ ?

विपिन चाय पीते-पीते अमित से बोला “दोस्त तुम सही कहते थे कि माँ की शिकायत मत किया करो, जब माँ नहीं रहेगी तब तुम्हें खलेगी माँ की कमी… I”  

श्रद्धा से-

अविनाश कुमार राव

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