पतली लघ्वी देह मेंजेबों में, लघु संदूकों में,हर दफ्तर में उपस्थितसाक्षरता प्रतीक वाहिका हूँ I मैं लेखनी हूँ I नीले, काले, हरे, लाल रंगों मेंप्रति स्थान, पद रूप अनेक,नियम, नव निर्माण, संशोधनमानस पटल की उद्गार कर्तृ हूँ I मैं लेखनी हूँ Iहर परिक्षाओं की सहगामिनीजीवन में हर मोड़ पर साथी,सबके सुख-दुःख की कहानीकोरे पन्नों की …
ईश्वर की सुंदर कृतिमातृ रूप परिभाषितजगज्जननी पर्याय क्यों दुखिता रह जाती हो ?यदा-यदा अत्याचार विरुद्धरौद्र रूप में हुई कटिबद्धदुर्गा, काली, रुप में आती होक्यों अबला कहलाती हो ? जिसने ही धरा पर अनेक नेक उत्कृष्टराम, मुहम्मद, यीशु, नानक, आज़ाद, भगतगांधी, विवेकानंद युगपुरुष जनतीक्यों तुम दूषित की जाती हो ?दादी, माता, नानी, दीदी, पत्नी, भगिनीरिश्तों की …