Tag Archives: अविनाश कुमार राव की कविताएँ

मैं लेखनी हूँ

लेखनी

पतली लघ्वी देह मेंजेबों में, लघु संदूकों में,हर दफ्तर में उपस्थितसाक्षरता प्रतीक वाहिका हूँ I मैं लेखनी हूँ I नीले, काले, हरे, लाल रंगों मेंप्रति स्थान, पद रूप अनेक,नियम, नव निर्माण, संशोधनमानस पटल की उद्गार कर्तृ हूँ I मैं लेखनी हूँ Iहर परिक्षाओं की सहगामिनीजीवन में हर मोड़ पर साथी,सबके सुख-दुःख की कहानीकोरे पन्नों की …

आओ साथी, कमर बाँध लो हो जाओ तैयार |

चुनाव

फिर खडा चोर हाथ जोड़ तुम्हारे द्वार आओ साथी, कमर बाँध लो हो जाओ तैयार IIजो वर्षों से चूसा तेरा रक्तअब आ गया है वह वक्त,हो जाओ कठोर और सख्तइस बार कर दो पलट तख़्त,न जीतने दो फिर इस बारआओ साथी, कमर बाँध लो हो जाओ तैयार II सालों सैर में किया केवल मद बर्बाद …

महिषासुर का शीष, चरणों में पाती हो II

महिषासुर का शीष, चरणों में पाती हो II

ईश्वर की सुंदर कृतिमातृ रूप परिभाषितजगज्जननी पर्याय क्यों दुखिता रह जाती हो ?यदा-यदा अत्याचार विरुद्धरौद्र रूप में हुई कटिबद्धदुर्गा, काली, रुप में आती होक्यों अबला कहलाती हो ? जिसने ही धरा पर अनेक नेक उत्कृष्टराम, मुहम्मद, यीशु, नानक, आज़ाद, भगतगांधी, विवेकानंद युगपुरुष जनतीक्यों तुम दूषित की जाती हो ?दादी, माता, नानी, दीदी, पत्नी, भगिनीरिश्तों की …

सोचो कितनी बड़ी बात है

सोचो कितनी बड़ी बात हैये तो अभी शुरुआत है।सौ में एक आबाद है,निन्यानबे बर्बाद हैं।फिर भी बर्बादी की,लंबी लगी कतार है।प्रचार पर खर्चे अपारआज यही व्यापार हैं Iअंगूर खट्टे हैंफिर भी लाचार हैं Iहोड़ में शामिलहोने की चली बयार है Iआधी बात में पूरी सौगात है Iएक अनार है सौ बीमार हैंकहावत एकदम चरितार्थ है …