नव वर्ष आने पर
पुराना साल जाने की
खुशियाँ मनाते हैं
सैर सपाटे जाते हैं |

हैं तो वैसे हर दिन नूतन
पुराना बदलने नया पहनने का
यह है जीवन क्रम |

पर, अपने अतीत का
अवलोकन कौन करता है ?
क्या दिया ?
छिना क्या ?
कौन रिश्ते बिछड़े ?
मिले कौन ?
चिंतन यह कौंधती हैं वहाँ,
जहाँ कुछ करने की आग जलती है
कुछ करने की चाह होती है |

यह करता भी वही है
जो इतिहास रचता
जिम्मेदारी अपने कंधे उठाता
एक नया युग बनाता,
सदा अलग पथ रचता है |

युगपुरुष का हर दिन नया होता है
सेवार्थ देश,
समाज हित
कर्मयोगी कदम आगे बढाता है |

त्याग अपेक्षाएँ
अपनी मेधा शक्ति ही आजमाता
लक्ष्य उसका कहता,
प्रेरित करता है
कार्य यह मुझे ही करना है,
मुझे ही करना है
… करना है |

श्रद्धा से-
अविनाश कुमार राव
डीपीएस, फुलबारी,
जलपाईगुड़ी, पश्चिम बंगाल
7754054211
avinash.rao1234@gmail.com