पतली लघ्वी देह में
जेबों में, लघु संदूकों में,
हर दफ्तर में उपस्थित
साक्षरता प्रतीक वाहिका हूँ I मैं लेखनी हूँ I
नीले, काले, हरे, लाल रंगों में
प्रति स्थान, पद रूप अनेक,
नियम, नव निर्माण, संशोधन
मानस पटल की उद्गार कर्तृ हूँ I मैं लेखनी हूँ I
हर परिक्षाओं की सहगामिनी
जीवन में हर मोड़ पर साथी,
सबके सुख-दुःख की कहानी
कोरे पन्नों की अभिव्यक्ति हूँ I मैं लेखनी हूँ I
अक्षर शब्द वाक्य से होकर
साहित्य में सब विधाओं की रचना,
गंतव्य महाकाव्य तक, समाज दर्पण
साक्षी इतिहास अंकिनी हूँ I मैं लेखनी हूँ I
प्रेम-पत्रों पर संयोग-वियोग में
स्नेह या आँसू बनकर चलती
संदेश माता-पिता हेतु
सरहद तक भाव प्रेषिका हूँ I मैं लेखनी हूँ I
अधिकार हर विषय पर
सब भाषाओं में अज्ञ,
सम, सुंदर रूप में चलकर
व्यक्ति विशेष परिचायिका हूँ I मैं लेखनी हूँ I
मेरी आँखें नम हो जाती हैं तब
दूषित हाथों में जाती हूँ जब,
जिसकी ककहरे से संगिनी थी
अन्याय, गबन पर जब हस्ताक्षर बनती हूँ I मैं लेखनी हूँ I
फिर कोई अवतरित होकर
सत्य सुन परख कर,
लिख क्रांति लायेगा नव युग अर्थ
यही चरैवेति मंत्र ले मैं बढ़ती हूँ I मैं लेखनी हूँ I
श्रद्धा से-
अविनाश कुमार राव
मैं लेखनी हूँ

लेखनी का प्रतीकात्मक चित्र