क्या खूब वक्त आया हैपरिवर्तन, विकास प्रगति काजिधर देखो उधर ही परिवर्तनकालिख बरतन का परिवर्तन,जैसे सठियाए बॉलीबुड कारीमिक्स परिवर्तन।धूम मची है, खूब मची है धूमनाम बदलाव की धूमअपने पूर्वज का नाम बदला जायपरिवर्नतन नदी मेंकौआ-स्नान किया जायशायद विकास हो जायकिसी को गोद ले अपना तोंद भरता है विकास बोलता है I आओ चले आओ बिना …
बेवफ़ा तू क्यों है खफ़ामेरे मर्ज की दवा तू ही बता ओ बेवफ़ा, ओ बेवफ़ा Iहर वक्त मेरी आँखें हैं नमहमनशीं ले के तेरा गमढूँढता हूँ दिन में तारों कोखोजता हूँ रात नींदों को क्यों ले लिया सुख चैन मेरासिला क्या है मेरा तू ही बताओ बेवफ़ा, ओ बेवफ़ा …1तेरे वादे हैं कहाँ तेरी कसमें …
जब अँधेरे में इठलाते हुए खिड़की से चाँद कोझाँकते पाया। पर, मैं खुश थाअपनी मोमबत्ती की रोशनी से,यह वही दीपक हैजिज्ञासा की ज्योति जलायागूढ़ विषयों को बताया। जब भी आयातम का छाया,हमेशा अपने साथदीपक को ही पाया। जिसका सपनाचाँद पर जाने का है,उनको इसी दीपक नेजाने का रास्ता बताया। श्रद्धा से-
सोचो कितनी बड़ी बात हैये तो अभी शुरुआत है। सौ में एक आबाद है,निन्यानबे बर्बाद हैं। फिर भी बर्बादी की,लंबी लगी कतार है। प्रचार पर खर्चे अपारआज यही व्यापार हैं I अंगूर खट्टे हैं फिर भी लाचार हैं I होड़ में शामिल होने की चली बयार है I आधी बात में पूरी सौगात है I …
नव वर्ष आने परपुराना साल जाने कीखुशियाँ मनाते हैंसैर सपाटे जाते हैं | हैं तो वैसे हर दिन नूतनपुराना बदलने नया पहनने कायह है जीवन क्रम | पर, अपने अतीत काअवलोकन कौन करता है ?क्या दिया ?छिना क्या ?कौन रिश्ते बिछड़े ?मिले कौन ?चिंतन यह कौंधती हैं वहाँ,जहाँ कुछ करने की आग जलती हैकुछ करने …
भादों के पहले आए आषाढ़ बिताकर जाए,शिव के नाम से पावन हैमाह वह समझो सावन है। खेतों में हरियाली झूमे, कजरी गीत सुनाए,आते-जाते रिमझिम बूँदों से सुहावन हैमाह वह समझो सावन है। पक कटहल गमगम महके, बागों में लंगड़ा-चौसा आम हैं लटके,जब पेग लगाते झूले करते आमंत्रण हैंमाह वह समझो सावन है। इंतजार है करती …
लेखक: अविनाश कुमार राव जिस दिन चाँद इठला रहा होगा,ईश्वर ने हूर कागुरूर तोड़ने कोतुझे रच रहा होगा। जिस महल में तेरा वास होगा,शायद अंधकारहिमालय की गुफाओं मेंछिप रहा होगा। जब रात चाँद निकलता होगा,तुझे देखकरशायद शर्म के मारेबादलों में छिप रहा होगा। जब तुम्हारा बाग़ जाना होगा,तुम्हारी मुस्कान देखशायद गुलाब भीमुरझा रहा होगा। जब …
पूर्वमायाति भाद्राद्यदाषाढस्य परं शुभम्। शिवनामाभिविख्यातं तद्विद्धि श्रावणं श्रुतम्।।1 हरितं दिक्षु सर्वत्र गायति नवगीतिकाम्। वर्षन्ति बिंदवो मन्दं श्रावणं नूनमेव च।।2 आम्रगन्धो यदा वाति गर्जन्ति कृष्णवारिदा:। केकिनो वीक्ष्य नृत्यन्ति श्रावणं नूनमेव तद्।।3 दोलास्तरुषु सर्वत्र वायौ प्लवन्ति वेगत:। युवत्यो गानलग्नाश्च श्रावणं नूनमेव तद्।।4 तडागा जलपूर्णाश्च नद्यो वहन्ति यत्र च। तरन्ति सर्वत्र नौका: श्रावणं नूनमेव च।।5 पर्व प्रतीक्षते प्रेम्णा …
तेरे नैनों ने किया है ऐसा असर तेरे नैनों ने किया है ऐसा असरहो गया हूँ मैं बेख़बरबस तुझे ही निहारूँ हर पहरऔर बस, और बस मुझे है तेरी फ़िकर। शुकर-शुकर, हे रब तेरा शुकरबस तुझे ही ढूँढे मेरी नज़र। देखा है तुमको जब सेखोया-खोया हूँ तब सेमाँगता हूँ तुझको रब सेतू है मेरी साँसे, …
हे! शारदे माँ, वर हमें ज्ञान का दो | हे! श्वेत कमलासिनी माँ हंस वाहिनी मेरे जीवन के तम दूर कर कोना-कोना उजाला से भर दो | हे! शारदे माँ, वर हमें ज्ञान का दो || हे अंबे! वीणापाणि ज्ञान प्रदान कारिणी हमारे अज्ञान हर कर अन्तःकरण विद्या से सम्पूर्ण कर दो | हे! शारदे माँ, …